स्वयं को परखिये
प्रदेश के नाम को (कॉलम 1) उनमें पाई जाने वाली मिट्टी के प्रकार (कॉलम 3) से सम्बन्धित कीजिए (कॉलम 2 में दिये गये रिक्त स्थान में सम्बन्धित नम्बर को भरकर)
प्रदेश के नाम को (कॉलम 1) उनमें पाई जाने वाली मिट्टी के प्रकार (कॉलम 3) से सम्बन्धित कीजिए (कॉलम 2 में दिये गये रिक्त स्थान में सम्बन्धित नम्बर को भरकर)
मिट्टी कई ठोस, तरल और गैसीय पदार्थों का मिश्रण है। यह भू-पर्पटी के सबसे ऊपरी भाग में पाई जाती है।
मिट्टी के निर्माण में पांच कारक सहायक होते हैं, यथा- आधारी चट्टान, स्थानीय जलवायु, जैविक पदार्थ, स्थलाकृति और मिट्टी के विकास की अवधि।
मिट्टी में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, सिलिकॉन, ऐलुमिनियम, लौहा आदि प्रधान तत्व हैं।
मिट्टी के पोषक तत्वों में नाइट्रोजन, कैल्सियम, फॉस्फोरस, सल्फर, मैग्नीशियम, मैंगनीज, आयोडीन, तांबा, जस्ता आदि हैं।
मिट्टी के विभिन्न संस्तर अर्थात् ऊपरी मिट्टी, पृष्ठ मिट्टी और अवमृदा मिलकर मिट्टी परिच्छेदिका (Soil Profile) का निर्माण करते हैं।
मिट्टी परिच्छेदिका में सबसे ऊपरी भाग को ‘अ’ संस्तर अथवा जैविक संस्तर भी कहते हैं। सारे पोषक तत्व इसी संस्तर में विद्यमान होते हैं। ह्यूमस का निर्माण भी इसी संस्तर में होता है।
पृथ्वी की सबसे ऊपरी कठोर परत को भूपपर्टी कहते हैं। यह महाद्वीपीय एवं महासागरीय भूपपर्टी के रुप में है। इसे स्थलमण्डल भी कहते हैं जिसमें भूपपर्टी एवं अनुपटल का सबसे ऊपरी भाग सम्मिलित है। यह दुर्बलतामण्डल के ऊपर स्थित है।
मिट्टी में रंग, गठन और संरचना जैसे भौतिक गुण विद्यमान होते हैं।
कृषि के लिए मिट्टी को जोतने पर मिट्टी के कणों की व्यवस्था से मिट्टी की संरचना का पता चलता है।
मिट्टी की संरचना इसकी जल धारण क्षमता एवं जुताई को प्रभावित करती है।
राजस्थान में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की मिट्टियां दीर्घावधि की अपरदन (Erosion), परिवहन (Transportation) एवं निक्षेपण (Deposition) की प्रक्रियाओं से निर्मित हैं।
राजस्थान में पाई जाने वाली मिट्टियां जलोढ़ (Alluvial) और वातोढ़ (Aeolian) हैं।